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भारत विभाजन की अन्तःकथा

प्रियंवद

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :590
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10352
आईएसबीएन :9788126318513

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भारतीय उपमहाद्वीप की सीमाएँ गांधार से लेकर कन्याकुमारी तक फैली रही हैं। इतिहासविदों को अभी उपलब्ध जानकारी के अनुसार अशोक के समय और बाद में औरंगजेब के समय में भी भारतीय सीमाएँ अपने सर्वाधिक विस्तारित रूप में थीं। लेकिन सन् 1947 में चंद लोगों की व्यक्तिगत आकांक्षाओं ने इस विस्तार को एक बार पुनः बाधित किया। इस विभाजन की अंतःकथा।

विभाजन भारत के इतिहास की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना है। एक ऐसा देश, जिसकी सीमाएँ मौर्य साम्राज्य से लेकर औरंगजेब तक लगभग एक सी रहीं, 1947 में धर्म के नाम पर बन्द कमरों में बैठकर, दो टुकड़ों में बाँट दिया गया। एक बृहत् सार्वभौम भारत की सम्भावना का अन्त हो गया। यह क्यों हुआ? कौन थे इसके जिम्मेदार?

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